श्मशान में भी सुकून नहीं… हाईकोर्ट बोला-1 ट्रिलियन इकोनॉमी की बात पर मरने के बाद भी…

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूरे प्रदेश में खस्ताहाल शवदाह गृहों पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता को सक्षम अधिकारियों को इससे अवगत कराने को कहा है ताकि इस समस्या का उचित समाधान निकाला जा सके. राजेन्द्र कुमार वाजपेयी नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि हमें कोविड-19 महामारी के दौरान भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा, जब हम शवदाह गृहों में सुविधाओं की गंभीर कमी की वजह से शवों का उचित तरीके से दाह संस्कार करने में असमर्थ थे.

श्मशान में सुविधाएं देने में असमर्थ
अदालत ने कहा, ‘आबादी दिनों-दिन बढ़ रही है, लेकिन शवदाह स्थलों पर आधारभूत सुविधाएं कछुए की गति से विकसित की जा रही हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम लोग उचित सुविधाएं पाने के लिए आजीवन संघर्ष कर रहे हैं और मरने के बाद भी उन्हें उचित शवदाह सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन शवदाह केंद्रों पर उचित सुविधाएं देने में अब भी असमर्थ हैं’. अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार को इस संबंध में ठोस कदम उठाने चाहिए.

अदालत ने अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी को इस आदेश की सूचना अपर मुख्य सचिव (पंचायतीराज) और अपर मुख्य सचिव (नगरीय विकास) को देने को कहा. जरूरत पड़े तो यह मामला मुख्य सचिव के समक्ष भी पेश किया जा सकता है.

18 जनवरी को फिर होगी सुनवाई
इससे पूर्व, प्रदेश में शवदाह गृहों की जर्जर हालत पर विचार करते हुए कुछ निर्देश पारित किए थे अदालत के आदेश के अनुपालन में प्रदेश सरकार के सचिव (नगर विकास) की ओर से एक हलफनामा दाखिल किया गया जिसे अदालत ने रिकॉर्ड में दर्ज किया. हालांकि, राज्य सरकार के अधिवक्ता के अनुरोध पर अदालत ने 18 दिसंबर के अपने आदेश में इस मामले को 18 जनवरी 2024 को नए सिरे से सुनवाई के लिए पेश किए जाने का निर्देश दिया.

Tags: Allahabad high court, Allahabad High Court Order, Cremation ghat

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