नई दिल्ली. कोरोना वायरस के JN.1 वेरिएंट का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. JN.1 वेरिएंट को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, WHO की पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने जनता को आश्वस्त किया है. ANI के साथ एक साक्षात्कार में, स्वामीनाथन ने कहा कि तत्काल घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, “हमें सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे पास यह सुझाव देने के लिए कोई डेटा नहीं है कि यह वेरिएंट JN.1 अधिक गंभीर है या नहीं, क्या यह अधिक मृत्यु का कारण बनने वाला है. मुझे लगता है कि हमें इससे बचने के उपाय को खोजने की जरूरत है. यह ओमीक्रॉन के परिवार का है, और हम पहले के वैरिएंट से परिचित हैं.”
JN.1 प्रकोप के बारे में 10 बातें जो आपको जानना आवश्यक हैं:
भारत में अब तक JN.1 वैरिएंट के 25 मामले सामने आए हैं, जिससे देशभर की चिंता और बढ़ गई है.
25 मामलों में से 19 गोवा में, चार राजस्थान में और एक-एक केरल, दिल्ली, महाराष्ट्र में पाए गए.
गोवा में पाए गए JN.1 वैरिएंट के सभी 19 मामलों की पुष्टि की गई है. मरीजों से एकत्र किए गए नमूनों की जीनोम अनुक्रमण के दौरान वैरिएंट का पता चला था.
राज्य के महामारी विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत सूर्यवंशी ने पीटीआई को बताया कि जेएन.1 वेरिएंट वाले मरीजों में हल्के लक्षण थे और वे अब ठीक हैं.
बुधवार को JN.1 सब-वेरिएंट के दो कोविड मामले जैसलमेर में सामने आए, वहीं दो अन्य मामले गुरुवार को जयपुर में सामने आए.
इस बीच, भारत में 594 ताजा कोविड-19 मामले दर्ज किए गए, जिससे सक्रिय संक्रमणों की संख्या बढ़कर 2,669 हो गई.
ब्लूमबर्ग के अनुसार, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में हर 24 में से लगभग 1 व्यक्ति को कोविड-19 है, जिसमें लंदन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है क्योंकि अत्यधिक संक्रामक JN.1 वैरिएंट तेजी से फैलता है.
यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी और नेशनल स्टैटिक ऑफिस की एक संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, इसका प्रसार 18 से 44 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में सबसे अधिक है.
बढ़ते मामलों का कारण ठंड का मौसम और एक-दूसरे के साथ अधिक मिलना-जुलना बताया जा रहा है.
पूरे इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में कोविड प्रसार दर 4.2% है, जिसमें लंदन 6.1% के साथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है.
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