बढ़ रहा है ह्रदय संबंधी बीमारियों से मौतों का आंकड़ा, तुरंत ध्यान ना दिया तो…

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ह्रदय संबंधी बीमारियां (cardiovascular disease, CVD) तेजी से एक मूक, लेकिन अपराजेय दुश्मन के रूप में उभर रही हैं. वैश्विक परिदृश्य में देखें तो यह बीमारियां दुनिया के हर हिस्से में लोगों की जान ले रही हैं. दिल के दौरे और स्ट्रोक से लेकर हार्ट फेल्योर तक, सीवीडी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं एक बढ़ते संकट की ओर इशारा कर रही हैं. इस पर अत्यधिक ध्यान देने की जरूरत है. ऐसे हालात अक्सर हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, स्मोकिंग और शारीरिक निष्क्रियता जैसे सामान्य जोखिम कारकों को साझा करते हैं. 

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार आंकड़ों पर एक नजर डालने से यह स्पष्ट होता है कि सीवीडी मामलों में वृद्धि का प्रभाव व्यक्तिगत दुष्प्रभाव से कहीं अधिक है, जिससे दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ रहा है. आंकड़ों पर गहराई से नजर डालें: क्या आप जानते हैं?

1. वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (डब्ल्यूएचएफ) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सीवीडी से संबंधित मौतें 1990 में 121 करोड़ (12.1 मिलियन) से बढ़कर 2021 में दो करोड़, पांच लाख (20.5 मिलियन) हो गईं. सीवीडी 2021 में दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण बन गया. कम और मध्यम आय वाले देशों में पांच में से चार मौतें इसकी वजह से हुईं.

2. इस मूक हत्यारे ने कभी सोचा था कि यह मुख्य रूप से बुर्जुग आबादी को प्रभावित करेगा. लेकिन इसने पीढ़ीगत सीमाओं का उल्लंघन किया. भारत में युवा आबादी के बीच सीवीडी की बढ़ती व्यापकता से एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है.

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3. इसका कारण भारत का कृषि प्रधान देश से औद्योगीकृत राष्ट्र में परिवर्तन को माना जा सकता है. देश ने जीवनशैली में उल्लेखनीय बदलाव देखा है. पहले के मैन्युअल कार्यों के मशीनीकरण ने शारीरिक गतिविधि में गिरावट ला दी है. जिससे लोग अधिक गतिहीन जीवन शैली जी रहे हैं. आर्थिक सुधार और तेजी से शहरीकरण के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिणामों ने हृदय रोगों से जुड़े जोखिम कारकों में वृद्धि को बढ़ावा दिया है. इनमें बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल स्तर, हाई बीपी, मोटापा, डॉयबिटीज, शारीरिक गतिविधि में कमी और बढ़ा हुआ तनाव शामिल हैं.

इसके आर्थिक प्रभाव भी काफी हैं
व्यक्तिगत दिक्कतों के अलावा, सीवीडी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने के आर्थिक प्रभाव भी काफी हैं. स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव, इलाज से जुड़ी बढ़ती लागत और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को अब नजरअंदाज करना मुश्किल है. विशेषज्ञों के अनुसार, ये सभी कारक शीघ्र रोकथाम की रणनीतियों और जीवनशैली में दखल की आवश्यकता पर जोर देते हैं.

डब्ल्यूएचएफ का अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि जो देश सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य देखभाल में अधिक निवेश करते हैं, वहां सीवीडी मृत्यु दर कम है. सीवीडी मृत्यु दर उन देशों में अधिक है जहां लोग स्वास्थ्य देखभाल के लिए अपनी जेब से अधिक भुगतान करते हैं.

इलाज से बेहतर रोकथाम
नियमित स्वास्थ्य जांच, जीवनशैली में बदलाव और मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान जैसे कदम सीवीडी से संबंधित मौतों की घटनाओं को कम कर सकते हैं. जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, सीवीडी से संबंधित मौतों के आंकड़ों की निगरानी और समाधान जारी रखना और यह सुनिश्चित करने के लिए लक्षित रणनीति विकसित करना आवश्यक है ताकि अधिक लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकें.

Tags: Health News, Heart attack, Heart Disease

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