नई दिल्ली. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई में अब तक 351 करोड़ रुपए नकदी बरामद हो चुकी है. यह कार्रवाई भी एक रिकॉर्ड बन गई है. किसी भी एजेंसी द्वारा एक ही ऑपरेशन में अब तक की सबसे ज्यादा नकदी बरामद की गई है. बता दें कि साहू ग्रुप पर टैक्स चोरी का आरोप है. इस पर एक्शन लेते हुए इनकम टैक्स विभाग ने छह दिसंबर काे छापेमारी की थी.
इस नकदी का एक बड़ा हिस्सा साहू से जुड़ी ओडिशा स्थित बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड से बरामद किया गया था. टैक्स चोरी और “ऑफ-द-बुक” लेनदेन के आरोप में डिस्टिलरी के प्रमोटरों और अन्य के खिलाफ मैराथन छापेमारी 6 दिसंबर को शुरू की गई थी. छापेमारी के दौरान 100 से अधिक आईटी अफसर मौजूद थे और जब्त नकदी की गिनती के लिए 40 से अधिक मशीनें लगाई गईं थीं.
क्या है नकद जब्ती प्रक्रिया?
छापेमारी के दौरान इनकम टैक्स अफसरों ने बिजनेस, ऑफिशियल और आवासीय परिसरों की तलाशी के दौरान सभी नकदी, वित्तीय दस्तावेज, संपत्ति के कागजात, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना और अन्य वस्तुओं की जांच करते हैं. नकदी को दो स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में जब्त और गिना जाता है, फिर सील कर दिया जाता है. फिर इसे एक राष्ट्रीय बैंक में ले जाया जाता है. जब्त किया गया पैसा इनकम टैक्स विभाग द्वारा रखे गए खाते में जमा किया जाता है. इस मामले में, ओडिशा के भारतीय स्टेट बैंक में आईटी विभाग के खाते में 351 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं, जिसे प्रोविजन डिपॉजिट (पीडी) खाता भी कहा जाता है.
इसके बाद क्या होगा?
ऐसे किसी भी मामले की जांच इनकम टैक्स विभाग की जांच इकाई द्वारा की जाती है. ये यूनिट सभी जानकारियों और खातों की बुक का अध्ययन करती हैं और 60 दिनों में एक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करती है. एक बार मूल्यांकन आदेश तैयार हो जाने के बाद, मामले के आरोपियों और संदिग्धों को अपनी आय का स्रोत समझाने का अवसर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में 18 महीने लगते हैं, जिसके दौरान एजेंसी जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों और संदिग्धों द्वारा दिए गए आय प्रमाण को ध्यान में रखती है. इसके बाद यह तय होता है कि जब्त की गई नकदी में से कितनी अवैध है.
तो मिल सकता है पैसा अगर…
बेहिसाबी नकदी पर 30% कर के रूप में और अवैध नकदी पर 60% जुर्माने के रूप में काटा जाता है. प्रक्रिया के दौरान, संदिग्धों को कुल जब्त किए गए धन पर ब्याज भी देना होगा. एक बार पूरी प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद, यदि संदिग्ध को जब्त की गई राशि में से कुछ पैसे मिलने की संभावना होती है, तो आईटी विभाग डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से राशि वापस कर देता है. यदि आईटी विभाग पर अभी भी कुछ पैसा बकाया है, तो भुगतान करने के लिए संदिग्ध को नोटिस भेजा जाता है.
शैल कंपनियों की भूमिका भी जांच के दायरे में
सूत्रों के मुताबिक, ‘‘अवैध’’ तरीके से अर्जित धन के इस्तेमाल को लेकर हवाला ऑपरेटर और ‘मुखौटा (शेल) कंपनियों’ की भूमिका जांच के दायरे में है. इनकम टैक्स विभाग की क्षेत्रीय जांच शाखा द्वारा कार्रवाई पर एक अंतरिम रिपोर्ट विभाग के प्रशासनिक निकाय, दिल्ली में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भी भेज दी गई है. सूत्रों ने बताया कि ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 30-34 परिसरों की तलाशी ली गई. उन्होंने बताया कि विभाग ने करीब तीन किलोग्राम सोने के आभूषण भी जब्त किए. सूत्रों ने बताया कि इन तीन राज्यों में काम करने वाले कई हवाला ऑपरेटर और कुछ मुखौटा या संदिग्ध कंपनियां विभाग की जांच के दायरे में हैं, क्योंकि इन तलाशी और भारी नकदी की बरामदगी के दौरान उनकी भूमिका का संकेत देने वाले दस्तावेज बरामद हुए हैं.
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Tags: Congress, Income tax, IT Raid
FIRST PUBLISHED : December 12, 2023, 21:39 IST