Gita Jayanti 2023: क्यों मनाई जाती है गीता जयंती और क्या है इसका महत्व!

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आज पूरे देश में गीता जयंती मनाई जा रही है. हरियाणा में इस अवसर पर गीता महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस गीता महोत्सव में देश-दुनिया के गीता विशेषज्ञ शिरकत करते हैं, गीता का पाठ होता है, इसके संदेशों पर चिंतन-मनन होता है.

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन उपवास करने, पूजा-पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी बताते हैं कि आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान देकर इस संसार में कर्म का महत्त्व स्थापित किया गया था. यानी आज ही के दिन ‘गीता’ ग्रंथ का प्रादुर्भाव कुरुक्षेत्र में हुआ था.

गीता हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है. लोग गीता पर हाथ रखकर सच बोलने की शपथ लेते हैं. गीता को मानव जीवन में सभी प्रकार की चिंताओं और दुख को खत्म करने का साधन माना जाता है. हिंदू धर्म से सबसे बड़े ग्रंथ गीता के जन्मदिवस को ‘गीता जयंती’ के रूप में मनाया जाता है. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में गीता को बड़े ही आदर और सम्मान के साथ देखा जाता है. भारत के तमाम विद्वान और मनीषियों ने गीता के अलग-अलग रूपों को अपने जीवन में उतारा है, तो दुनिया के कई दिग्गजों ने भी गीता को अपने जीवन में उतारा है.

गीता के गूढ़ रहस्यों को अपने-अपने तरीके प्रकाशित करते हैं गीता के अलग-अलग भाष्य

गीता की उत्पत्ति
कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन जब दुश्मनों की कतार में अपने सगे-संबंधियों और परिजनों को देखकर व्याकुल हो गए थे और उन्होंने युद्ध न लड़ने का फैसला किया तो उनके सारथी भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेशों के माध्यम से जीवन में कर्म, धर्म और अन्य व्यवहारों के बारे में ज्ञान दिया था. यही उपदेश गीता में दर्ज हुए और गीता उपदेश बने.

महाभारत के छठवें अध्याय में है गीता का ज्ञान
जय नामक ग्रंथ को भारत ग्रंथ के साथ मिलाकर महाभारत के नाम से जाना गया है. इसके छठे अध्याय ‘भीष्म पर्व’ में गीता के उपदेश दिए गए हैं. गीता के अठारह अध्याय हैं. इन अध्यायों में मनुष्य के सभी धर्म-कर्म का ब्यौरा दिया गया है. मनुष्य क्या है, यह जीवन क्या है, मनुष्य क्यों जन्म लेता है और फिर मृत्यु के बाद कहां जाता है, उसके धर्म और कर्म क्या हैं, परिवार के प्रति कर्तव्य, सगे-संबंधी, आचार-व्यवहार, योग, राजनीति आदि सभी के बारे में गीता में बताया गया है.

गीता में कुल 710 श्लोक हैं. कहा जाता है कि इनमें से लगभग 575 श्लोक भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में रथ पर सवार अर्जुन को एक ही दिन में सुनाए थे. और वह भी युद्ध शुरू होने से पहले. ताकि युद्ध के शंख बजते ही अर्जुन लड़ाई के लिए तैयार हो जाए. ‘श्रीभगवद्गीता’ और ‘भागवत’ दोनों ही पुस्तकें बिल्कुल अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों के केंद्र में श्रीकृष्ण हैं. श्रीभगवद्गीता को महर्षि वेदव्यास ने लिखा है और इसके वक्ता कृष्ण हैं.

Tags: Books, Hindi Literature, Literature, Literature and Art

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